Monday, February 2, 2015

नानी जी...



नानी चली गयीं.. हमेशा के लिए।

उनकी वो हँसी दिमाग में घूम रही है अब। लेकिन अब क्यों। जब वो थी मैने बहुत तरसाया उन्हें मिलने के लिए। बस हमसे दो बातें करना चाहती थी, हमारी ख़ुशी में कितनी खुश होती थी। लेकिन मैं अपने आप में इतना व्यस्त , इतना डूबा रहा की सोचा भी नहो वो एक कमरे में अकेले कैसी समय गुज़ारती होगी।

मैं बहुत बुरा हूँ। बहुत मतलबी। यह कर्म हैं मेरे। क्यों मैं ऐसा था।

मुझे माफ़ करदेना नानी जी। मैं एक वायदा करता हूँ। आपके प्यार के लिए।। आपकी बेटी को बौत खुश रखूँगा। एक पल अकेला महसूस नहीं करने दूंगा।

यह मेरा पश्चाताप नहीं कोई,  ये आपके हिस्से का साथ और मेरी माँ का हक़ है।
मुझे मुआफ़ कर देना। आपसे मिला वो आखरी लम्हा मैं कभी नहीं भूलूंगा। हर लम्हा कभी नहीं भूलूंगा। आप मेरी नानी थे, हो और हमेशा रहोगे।

वाहेगुरु जी ख्याल रखना मेरी नानी का, वो आपका ही ख्याल रखने के चक्कर में अपना ही ख़ुशी समझेगी। और हां, मेरे नाना नानी को मिला देना साथ में।

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